Tuesday, November 18, 2008

शांति के कबूतर को जम्हूरियत का चुग्गा!

जम्मू-कश्मीर घाटी में जम्हूरियत की बयार जमकर बह रही है। लेकिन देखना यह होगा कि जम्हूरियत का यह चुग्गा शांति कपोतों को घाटी की फिजा में मंडराने के लिए आकर्षित करने में सफल होगा या फिर चुग्गे में मिला राजनीतिक जहर अवाम के विश्वास और शांति कपोतों का बेदर्दी से खून कर डालेगा?

यह संशय इसलिए है क्योंकि हमारे शीर्ष नेताओं की शांतिदूत बनने की लपलपाती महत्वाकांक्षा का खामियाजा हमेशा घाटी ने अपनी शांति खोकर भुगता है। जवाहरलाल नेहरू से चला आ रहा यह सिलसिला धारा 370 हटाने, कश्मीरी पंडितों को फिर से बसाने, सीमा पार आकंतवादी ठिकानों को नष्ट करने के वादे कर भूलने वाले अटलबिहारी वाजपेयी से लेकर मनमोहनसिंह तक बरकरार है। बार-बार एकतरफा युद्धविराम कर पहले घाटी को फौजियों की कत्लगाह बनाया गया फिर अवाम को अशांति के खौलते कड़ाह में डाल दिया गया। अमरनाथ भूमि आवंटन से भड़की हिंसा के बाद तो शांति को भी मानो, अस्थमा हो गया था।

जैसे-तैसे मतदान की तारीख पास आई। अलगाववादी और बर्फबारी दोनों ने भी ‘जहां इलेक्शन वहां चलो’ का नारा दिया। इसके बावजूद जम्हूरियत की कांगड़ी आम अवाम के दिलों में थी और वही उनके जोशो-जूनूं को गर्माहट दे रही थी। जम्मू-कश्मीर का अवाम अपने लोकतांत्रिक हक को अलगाववादियों के कहने पर छोड़ने को तैयार नहीं है, यह बात पहले चरण में ही साबित हो गई जब दस सीटों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से औसतन 64 फीसदी वोट पड़े।

कारगिल में माइनस चार तो जंस्कार में माइनस 11 डिग्री तापमान होते हुए भी इस लोकतांत्रिक उत्सव को मनाने सभी निकल पड़े। सिने से कांगड़ी चिपटाए लोग अपनी अंगुली पर लोकतंत्र की स्याही लगवाकर ही लौटे। गरेज विधानसभा क्षेत्र में नियंत्रण रेखा से एक किलोमीटर दूर बने मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए 20 मतदाताओं के एक जत्थे ने बर्फ और पहाड़ी जंगलों से‍ घिरा पांच किलोमीटर लंबा दुर्गम रास्ता तय किया। और गर्व करने लायक बात यह थी कि इस दल में ज्यादातर महिलाएं थीं।

अब आखिरी चरण 24 दिसंबर को है और अलगाववादियों के ‘लाल चौक चलो’ के आह्वान को भी अवाम इसी जुनून के साथ नाकाम करे। जम्हूरियत में ही जनता की जीत है- इस तथ्य को स्थापित करना होगा। अवाम यह बता दे कि घाटी में अब लाशों की फसल नहीं काटने दी जाएगी। यहां फलेगी शांति और फूलेगा भाईचारा। शायद तभी दूसरा स्वर्ग फिर से अस्तित्व में आ पाए।

4 comments:

Anonymous said...

Haan Aapne sahi likha. Shanti aur Bhaichare ke liye janta ko hi jagruk hona padega.

Manuj Mehta said...

वाह बहुत खूब लिखा है आपने.

नमस्कार, उम्मीद है की आप स्वस्थ एवं कुशल होंगे.
मैं कुछ दिनों के लिए गोवा गया हुआ था, इसलिए कुछ समय के लिए ब्लाग जगत से कट गया था. आब नियामत रूप से आता रहूँगा.

Jimmy said...

bouth he aacha post hai keep it up

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Vinay said...

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