Saturday, October 18, 2008

समूची संस्कृति को ही जहर में डुबो देने की पैरवी



लिव इन v/s करवा चौथ : तीसरी किस्त

लिव-इन प्रेमियों का बड़ा ही मासूम तर्क है कि अभी भी तो समाज में चोरी-छिपे यह सब चल रहा है। तो क्यों न खुलेआम यह सब हो। हे विद्वजनों, माना कि यह जहर अभी थोड़ी मात्रा में है, लेकिन बजाय इसका उतारा करने के, आप तो समूची भारतीय संस्कृति को ही जहर में डुबो देने की पैरवी कर रहे हो।

लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता मिले या नहीं? इस यक्ष प्रश्न को लेकर नवभारत टाइम्स ने बीते दिनों रायशुमारी की कवायद की। इसे नाम दिया गया- एनबीटी महाबहस। 65 फीसदी लोगों ने कहा- नहीं। यानी 35 फीसदी अभी भी ऐसे लोग हैं जो भारत को भारत नहीं बना रहने देना चाहते।

जब मल्लिका शेरावत और शिल्पा शेट्टी जैसी अभिनेत्रियां देश की दिशा निर्धारित करती दिखती हों और बाजार की शह पाकर अश्लीलता समाज पर हावी हो रही हो, तब यह तो होना ही था। ईशा देओल तो सार्वजनिक रूप से घोषणा कर चुकी हैं कि वे शादी से पहले दो साल तक अपने बॉयफ्रेंड के साथ एक ही घर में रहना चाहती हैं। वे दरअसल सुष्मिता सेन से प्रभावित हैं, जिन्होंने अपने नए बॉयफ्रेंड और अपनी नई फिल्म 'दूल्हा मिल गया' के निर्देशक मुदस्सर अजीज के साथ एक ही घर में बिना शादी के रहना शुरू किया है। देखा-देखी ऐसी ख्वाहिश ईशा देओल के मन में भी जगना ही थी। ईशा ने तो अपनी मां का उदाहरण देते हुए यहां तक कहा कि लिव इन रिलेशनशिप पर उनकी माता जी यानी हेमामालिनी को भी कोई एतराज नहीं है। ईशा कहती हैं कि मेरी मां खुले विचारों की हैं। और यदि मैं शादी किए बगैर ही किसी एक व्यक्ति के साथ रहती हूं तो उन्हें बुरा नहीं लगेगा।

धन्य हो ईशा जैसी आज की बेटियां।

सुरेश चंद्र गुप्ता ने अपने काव्य कुंज में लिव इन के विरोध में गजब की तान छेड़ी है, जो वाकई कान खड़े करने वाली है।
गौर फरमाइए-
एक राजा और एक रानी मिले एक पार्टी में,
गिर पड़े प्यार में एक दूसरे के साथ प्रथम दृष्टि में.
दोनों थे पढ़े-लिखे और बुद्धिजीवी,
प्रगतिशील विचारों के और विरोधी पुरानी मान्यताओं के,
छटपटाते थे मुक्त होने को दकियानूसी सामाजिक प्रथाओं से.
रहने लगे साथ लिव-इन रिलेशनशिप में.
एक दिन राजा गिर पड़ा प्यार में एक और रानी के,
ले आया उसे भी साथ रहने को,
रानी को यह नहीं भाया और उसने भी चक्कर चलाया,
गिर पड़ी प्यार में वह भी एक और राजा के,
बिन विवाह बढ़ने लगा लिव-इन परिवार,
एक रानी मां बनी एक राजकुमारी की.
हमारे मां-बाप ने हमें कोई काम की बात नहीं सिखाई,
हम इसे सब कुछ सिखाएंगे,
हमारे मां-बाप ने जो जिम्मेदारी पूरी नहीं की,वह हम पूरी कर दिखाएंगे,
दूसरी रानी ने पूरी की अपनी जिम्मेदारी,
वह बनी मां एक राजकुमार की,
राजकुमार और राजकुमारी,लिव-इन माता पिता की देख रेख में,
बचपन से ही रहने लगे लिव-इन रिलेशनशिप में.
भारत का पहला लिव-इन परिवार,
देखें कौन तोड़ता हैं इन का रिकार्ड,
कब बनेगा नया रिकार्ड?
तीन राजा और तीन रानी,एक लिव-इन रिलेशनशिप में.

झरोखा जिंदगी का में ख्यात कार्टूनिस्ट ‍अभिषेक भी अपनी कूची का सुर सुरेशजी की कलम से मिलाते नजर आ रहे हैं।


To be continued…

3 comments:

Anonymous said...

बहुत जहीन दिमाग पाया हैं आप ने . और उस जहीन दिमाग मे केवल और केवल महिला के प्रति नफरत ही हैं और कुछ नहीं . और ख़ास कर उस महिला के प्रति जो आप के दिमाग मे सेट कि गयी लकीर पर नहीं चलती .
इशा को लिखा धरमेंदर को भूल गये जिसने ४ बच्चो और एक बीवी के होते हुए एसाह की माँ से तब निकाह किया जब ईशा पेट मे थी . जी हाँ निकाह सो आज तक हेमा को पत्नी का दर्जा नहीं मिला
अब ये क्या हैं आप कह रहे हैं औरत ही लिव इन मे रहती हैं तो आप सही ही होगी क्युकी लिव इन मे तो हेमा थी धरमिंदर तो फस गए बेचारे । bhagwaan भी kaesee kaese aurtey बनाता han ishwar

वैस सैफ अली खान के बारे कब likhae likhae gae , अमृता को talaak दिये बिना रोजा के साथ रहे और shaahid की प्रेमिका को ले गए
नहीं आप तो यही कहेगे रोजा और kareena लिव इन मे थी सैफ तो भजन कर रहे थे ।
और shilpa याद rahee राज mundra को भूल गये jiskii पत्नी ने uskae ऊपर daava kiyaa हैं
mallika sherawat याद rahii पर उस corporate maalik को भूल गए जिसने maalika को karoro दिये हैं और उसका और uskae पति का taalak करवाया हैं
वैस एक बात मान ले लिव इन relationship मे एक आदमी भी होता हैं केवल औरत ही नहीं होती पर आप kyu maanegae आप को तो बस औरत ही दिखती हैं , sunder hasin औरत जो आप के liyae एक jism से ज्यादा कुछ नहीं हैं ।
lagey रहो patkaar महोदय tuhari क्या गलती हैं patrkaarita मे ऊपर जाना हो तो फ़िल्म taarikaao के chitr और jeewan से acchii कोई seedhi नहीं हैं और अगर मर्द हो तो ये kament delete ना करना bhayaee
sanskritii dub rahee haen tum naav laekar nikal pado bachaa lo varna prilay aa jaaegee

महेश लिलोरिया said...

सच जी आपकी जानकारी बेहद ज्ञानवर्द्धक है। जहां तक आपका कहना है कि लेखक सेट लकीर पर चल रहा है और उसकी महिला विरोधी मानसिकता है, इससे मैं सहमत नहीं हूं।
दरअसल मेरा पूरा विरोध ही उस पुरुष प्रधान मानसिकता को लेकर है जो महिलाअों का हक मार कर जबरन लिव-इन जैसे दलदल में फंसा रहा है। इसी का विरोध है, बस।

Unknown said...

@लिव-इन प्रेमियों का बड़ा ही मासूम तर्क है कि अभी भी तो समाज में चोरी-छिपे यह सब चल रहा है। तो क्यों न खुलेआम यह सब हो।
सही तर्क है. जितने भी गैरकानूनी काम हो रहे हैं उन्हें कानून बना दीजिये और खुले आम होने दीजिये, सारी समस्या ख़त्म.

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